Gram Mhasrul, District – Nasik 422004 Gajpantha situated near nasik city, 5 k.m. from nasik city, on the way to dindhori road, Gajpantha named from gajkumar muniraj who went to moksh from this place. Gajpanth Siddhakshetra, Nasik Off. No-0253-2531304 |
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श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र गजपंथा ग्राम म्ह्सरुल, जिला - नासिक ४२२००४ क्षेत्र की प्रन्चिनता एवं इतिहास - श्री दिगम्बर जैन धर्मं का यह क्षेत्र बहुत प्राचीन एवं महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं यह क्षेत्र नासिक महानगर से ५ की मी. दुरी पर दिन्ढोरी रस्ते में ही लगता हैं एस क्षेत्र से सात बलभद्र एवं आठ करोड़ मुनि मोक्ष पधारे हैं जैन इतिहास के अनुसार शास्त्रों में नौ बलभद्र होते हैं जो की नियमानुसार मोक्ष जाते हैं पर काल दोष के अनुसार एस समय आठ ही मोक्ष पधारे हैं जिनमे से सात बलभद्र, यहाँ से मोक्ष पधारे हैं श्री १००८ भगवन श्रेयांस्नाथजी के समय में प्रथम विजय बलभद्र, भगवन वसुपुज्यजी के समय में द्वितीय बलभद्र, भगवन वसुपुज्यजी के समय में सुधर्मा बलभद्र श्री भगवन अनंत्नाथ्जी के समय में सुप्रभ बलभद्र, श्री भगवन धर्मनाथ्जी के समय में सुदर्शन बलभद्र, श्री भगवन अर्हनाथजी के समय में नंदी बलभद्र, श्री भगवन मल्लिनाथ्जी के समय के समय में नंदिमित्र बलभद्र इस प्रकार सात बलभद्र एवं आठ करोड़ मुनिराज गजपंथ सिद्धक्षेत्र से मोक्ष पधारे श्री भगवन मुनिसुव्रत्नाथजी के समय में रामचन्द्रजी बलभद्र हुए जो की मंगितुनिगीजी से मोक्ष पधारे एवें श्री भगवन नेमिनाथजी से समय में नौवे बलभद्र बलरामजी हुए, वे मंगीतुन्गीजी सिद्धक्षेत्र से स्वर्ग पधारे आचार्य पूज्यपाद ने अपनी प्राकृत निर्वंकंद गाथा में एन बल्भाद्रो का उल्लेख किया हैं इसी क्षेत्र से इन्ही बलभद्रो के समय में गज्कुमार मुनिराज मोक्ष पधारे इसी कारण इस क्षेत्र का नाम गजपंथ हुआ शांतिनाथ पुराण में असग कवी ने वर्णन किया हैं की नासिक नगर की उत्तर दिशा में गज्ध्वाज नाम का पर्वत हैं और उसी का परिवर्तन होकर गजपंथ ऐसा नाम हुआ तीसरा कारन यह भी हैं की पहाड़ का आकर बेठे हुए हाथी के समान दिखता हैं इस कारण भी इसे गजपंथ कहते हैं म्ह्सरुल ग्राम के मंदिर के धर्मशाला में एक जिनालय हैं जिसमे भगवन १००८ महावीर स्वामी मुलनायक हैं सात बलभद्र एवं गज्कुमार स्वामी की धातु की खडगासन प्रतिमाये हैं और जल्दी ही मुलनायक भगवन महावीर के दोनों बाजु श्री चंद्रप्रभु भगवन एवं श्री वासुपूज्य पद्मासन मुर्तिया विराजित करवाकर भव्य नूतन मंदिर का निर्माण हो रहा हैं एस म्हस्रुल धर्मशाला से ३ की. मी. दुरी पर पहाड़ हैं जिसकी ऊंचाई चार सो फीट हैं और दर्शनार्थ जाने के लिए ४३५ सीढिया हैं. इस पहाड़ पर जो गुफा मंदिर हैं वे करीब दो हज़ार वर्ष पुरातन हैं इ. सन. ९०० वर्ष पहले यहाँ पर मैसूर राज्य के रजा चामराज ने आकर इन गुफाओ का एवं मुर्तिया का जिर्नोध्वार एवं प्रतिष्ठा करवाई, जिसके कारण पहाड़ का नाम "चमार लेणी" ऐसा प्रसिद्ध हुआ कुछ समय के उपरांत चमार शब्द का अपभ्रंश होकर चाम्भर हो गया इसलिए वर्तमान में चाम्भरलेणी ऐसा उल्लेख होने लगा इसके पश्चात करीब दौ सो वर्ष पहले नागोरवासी श्री भट्टारक क्षेमेन्द्रकिर्तिजी महाराज यहाँ आये और उन्होंने भी पहाड़ का जिर्नोध्वार कराया एवं उसके सरंक्षनार्थ म्हसरूल ग्राम में मंदिर और धर्मशाला का एक ट्रस्ट का निर्माण कराया उसी समय से लेकर आज तक पहाड़ की पूरी व्यवस्था म्हसरूल मंदिर कार्यालय से ही होती हैं |
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Shri Digambar Jain Siddhakshetra Gajpantha |
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Gram Mhasrul, District – Nasik 422004 Gajpantha situated near nasik city, 5 k.m. from nasik city, on the way to dindhori road, Gajpantha named from gajkumar muniraj who went to moksh from this place.
i) Shri Vijay Balbhadra
ii) Shri Achal Balbhadra
iii) Shri Sudharma Balbhadra
iv) Shri Suprabh Balbhadra
v) Shri Sudarshan Balbhadra
vi) Shri Nandi Balbhadra
vii) Shri Nandimitra Balbhadra
Gajpanth Siddhakshetra, Nasik Off. No-0253-2531304
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