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श्री पार्श्वनाथ भगवान जैन अतिशय क्षेत्र चुल्गिरी, खानियाजी, जयपुर
यह क्षेत्र राजस्थान के जयपुर शहर से ११ किलोमीटर दुरी पर स्तिथ हैं, सन १९५३ में आचार्य श्री देशभूषण महाराज से प्रेरणा पाकर इस पर्वत का साधना कुटीर के रूप में विकास प्रारंभ किया गया. सन १९६६ में भगवान पार्श्वनाथ की ७ फ़ुट ऊँची श्याम वर्णीय पाषण की खडगासन प्रतिमा मुलनायक के रूप में यहाँ प्रतिष्ठित की गयी. इसके दये-बाए और की दोनों वीडियो पर भगवान महावीर व् भगवान नेमिनाथ की धवल पाषण की पद्मासन प्रतिमाये प्रतिष्ठित की गयी. भगवान पार्श्वनाथ की परिकृमा में २४ तिर्थंकरो की पद्मासन प्रतिमाये एवं एक अन्य कक्ष में मतेश्वर पद्मावती का प्रतिष्ठित की गयी. भगवान पार्श्वनाथ की परिकृमा में २४ तिर्थंकरो की पद्मासन एवं एक अन्य कक्ष में मातेश्वरी पद्मावती का पतिष्टिथ किया गया हैं. |
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Shree Parshwanath Digambar Jain Atishay Kshetra, Chul Giri, Khaniyaji |
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Shree Parshwanath Digambar Jain Atishay Kshetra, Chul Giri, Khaniyaji, Located 11 km away from jaipur city, in the year 1953, Inspiration from acharya shree deshbhushan maharaj, development work started for this Tirth.
In Year 1966, 7 feet in high Bhagwan Parshwanath’s statue was distinguished.
24 Tirthankaras Padmasan statue & in another room Mateshwar Padmavati statue was distinguished. |
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Shree Parshwanath Digambar Jain Atishay Kshetra, Chul Giri, Khaniyaji, Located 11 km away from jaipur city, in the year 1953, Inspiration from acharya shree deshbhushan maharaj, development work started for this Tirth. |
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