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मुनि प्रमाणसागर जी - जीवन परिचय |
झारखंड प्रान्त के हजारीबाग शहर में जन्मे मुनि श्री प्रमाणसागर जी, संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रमुख शिष्यों में से हैं। अल्पवय में ही अंतर्यात्रा की ओर उन्मुख होने वाले मुनिश्री साधना, संयम और सृजन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपका चिन्तन और अभिव्यक्ति कौशल हजारों - हजारों श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर भाव-विभोर कर देता है। धारा प्रवाह प्रवचन में शब्द-सौष्ठव एवं प्रस्तुतिकरण की मोहकता, मधुबन में बांसुरी की भांति प्रभावी है। आप हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत एवं अंग्रेजी के अधिकारी विद्वान के रूप में बहु-आदरित हैं। अध्ययनप्रियता, आपका पथ व संयम, आपकी शैली एवं साधना आपकी गुणधर्मिता है। आप आगम के गूढ़तम ज्ञाता, जिणवाणी के प्रखर प्रस्तोता हैं। आपकी बहु प्रशंसित कृति "जैन धर्म और दर्शन" विचार, अध्यात्म एवं चिन्तन - जगत में अनुठे अनुदान की भांति सर्वमान्य है। जैन आगम के गूढ़ तत्त्वों की सहज-सरल-सुबोध प्रस्तुति इस कृति का अनुपम वैशिष्ट्य है। "जैन तत्त्व विद्या" आपकी तत्त्वान्वेशी मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण है। |
जन्म: |
27 जून 1967 |
पूर्व नाम: |
नवीन कुमार जैन |
पिता का नाम: |
श्री सुरेन्द्र कुमार जैन |
माता का नाम: |
श्रीमती सोहनी देवी जैन |
जन्म स्थान: |
हजारी बाग ( झारखण्ड) |
वैराग्य: |
4 मार्च 1984, राजनांदगांव (छतीसगढ़) |
क्षुल्लक दीक्षा: |
8 नवम्बर 1985, सिद्ध क्षेत्र आहार जी, जिला- टीकमगढ़ (म.प्र.) |
ऐलक दीक्षा: |
10 जुलाई 1987, अतिशय क्षेत्र थुवौनजी |
मुनि दीक्षा: |
31 मार्च 1988 महावीर जयंती, सिद्ध क्षेत्र सोनागिरी जी |
दीक्षा गुरू: |
संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी |
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बालक नवीन से मुनि प्रमाणसागरजी - स्मृतियाँ...........शीघ्र आ रही हैं. |
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विश्व व्यापी धर्म बचाओ आन्दोलन मार्गदर्शन: जयपुर 2015 |
मुनि श्री की प्रेरणा से संस्थापित संस्थायें: |
आचार्य विद्यासागर प्रबंध विज्ञान संस्थान, भोपाल (उच्च शिक्षा का उत्कृष्ट अधिष्ठान) |
दिगंबर जैन शीतल विहार न्यास, विदिशा (तीर्थंकर शीतलनाथ जी की त्रय कल्याणक स्थली पर उदीयमान भव्य तीर्थ) |
आचार्य विद्यासागर साधर्मी विकास न्यास (ललितपुर, टीकमगढ़, कटनी, सतना, अशोकनगर, गुना, सागर, भोपाल, गंज बासोदा) |
राष्ट्रीय जैन युवा महासंघ- सम्पूर्ण युवाओं एवं युवा संस्थाओं को एक सूत्र में बांधना |
श्री सेवायतन मधुवन शिखर जी (मानव सेवा एवं ग्रामीण विकास तथा शिखरजी की पावनता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध) |
गुणायतन मधुवन शिखरजी – जैन दर्शन के अन्तर्गत जीवात्मा के शिखर तक की यात्रा का सजीव चित्रण आधुनिक तकनीक द्वारा |
कृतियाँ
1. जैन धर्म और दर्शन
2. जैन तत्त्वविद्या
3. तीर्थंकर
4. धर्म जीवन का आधार
5. दिव्य जीवन का द्वार
6. ज्योतिर्मय जीवन
7. अंतस की आँखें
8. पाठ पढ़े नव जीवन का
9. धर्म साधिये जीवन में
10. मर्म जीवन का
11. सुखी जीवन की राह
12. लक्ष्य जीवन का
13. कर्म जीवन का
14. जीवन उत्कर्ष का आधार
15. जैन सिद्धान्त शिक्षण
16. घर को कैसे स्वर्ग बनाएँ
17. शंका समाधान |
चातुर्मास:
1984 मढ़िया जी , जबलपुर (पूज्य आचार्य श्री के साथ)
1985 आहार जी टीकमगढ़ (पूज्य आचार्य श्री के साथ)
1986 पपोरजी, टीकमगढ़ (पूज्य आचार्य श्री के साथ)
1987 थुवौन जी (पूज्य आचार्य श्री के साथ)
1988 मढ़िया जी जबलपुर (पूज्य आचार्य श्री के साथ)
1989 पंडराइ (मंडला)
1990 शाहपुरा भिटोनी, जबलपुर
1991 सतना
1992 विदिशा
1993 अतिशय क्षेत्र रामटेक
1994 कटनी
1995 भोपाल
1996 गोटेगाँव
1997 सागर
1998 ललितपुर
1999 अतिशय क्षेत्र भोजपुर
2000 विदिशा
2001 टीकमगढ़
2002 फिरोजाबाद
2003 अतिशय क्षेत्र बहोरीबंद
2004 सतना
2005 हजारीबाग (झारखंड)
2006 श्री सम्मेद शिखर जी
2007 श्री सम्मेद शिखर जी
2008 गया
2009 श्री सम्मेद शिखर जी
2010 रांची
2011 पावापुरी
2012 कोडरमा
2013 कोलकाता
2014 श्री सम्मेद शिखर जी
2015 जयपुर |
Muni Shri Praman Sagarji Maharaj born in Hazaribaug City - Jharkhand, Param Pujya Acharya Shri Vidyasagarji Maharaj ke Param Prabhavak Shisya evam Gunayatan Praneta Munishri Praman Sagarji Maharaj |