प्रश्न १- णमोकार मंत्र किसे कहते है ?
उत्तर- जिसे मंत्र में पच परमेष्ठियो को नमस्कार किया है उसे नामोकर मंत्र कहते है | इसमे ३५ अक्षर, ५ पद, तथा ५८ व मात्रे है|
प्रश्न २- णमोकार मंत्र कोनसा है?
उत्तर- नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवाजयानाम, नमो लोए सव्वासहुनम.
प्रश्न ३- इस मंत्र का महत्त्व क्या है ?
उत्तर - एसो पंच नामोक्कारो सव्वापावपनासणो, मंग्लानाम्च्चसव्वेसी पढं हवई मंगलम||
यह पंच नमस्कार मंत्र सब पापो का नाश करने वाला है | सब मंगलो में पहला मंगल है |
प्रश्न ४- परमेष्ठी किसे कहते है ?
उत्तर- जो परम पद में स्थित हो उन्हें परमेष्ठी कहते है |
प्रश्न ५- परमेष्ठी कितने है ?
उत्तर - परमेष्ठी ५ है -
(१) अरहंत (२) सिध्द (३) आचार्य (४) उपाध्याय (५) साधू.
प्रश्न ६- अरहंत परमेष्ठी किसे कहते है ?
उत्तर - वीतराग, सर्वज्ञं, हितोपदेशी जिनके ४ घटिया कर्म नष्ट हो गए है , उनके अरहंत परमेष्ठी कहते है |
प्रश्न ७- अरहंत परमेष्ठी के कितने मूलगुण है ?
उतर - अरहंत पर्मेध्थी के ४६ मुलगुण है |
प्रश्न ८- सिध्द परमेष्ठी किसे कहते है ?
उत्तर - जो जन्म- मरण से हमेशा के लिए छुट गए है और आठ कर्म से रहित है उनको सिध्द परमेष्ठी कहते है |
प्रश्न ९- सिध्द परमेष्ठी कहा रहते है ?
उत्तर- सिध्द परमेष्ठी लोक के अग्र भाग में रहते है |
प्रश्न १०- सिध्द परमेष्ठी के कितने मूलगुण है?
उत्तर - सिध्द परमेष्ठी के मूलगुण है |
प्रश्न ११- आचार्य परमेष्ठी किसे कहते है ?
उत्तर - जो दीक्षा और सदुपदेश देते है उनके आचे परमेष्ठी कहते है |
प्रश्न १२- आचार्य परमेष्ठी के कितने मूलगुण है ?
उत्तर - आचार्य परमेष्ठी के ३६ मूलगुण है |
प्रश्न १३- उपाध्याय परमेष्ठी किसे कहते है ?
उत्तर - जो स्वय पढ़ते है और अपने शिष्यों को पढ़ते है उनको उपाध्याय परमेष्ठी कहते है |
प्रश्न १४ - उपाध्याय परमेष्ठी के कितने मूलगुण है ?
उत्तर - उपाध्याय परमेष्ठी के २५ मूलगुण होते है|
प्रश्न १५ - साधू परमेष्ठी किसे कहते है ?
जो विषय, आशाव से रहित आरंभ परिग्रह से रहित एव ज्ञान ध्यान में लीन है, वे साधू परमेष्ठी है |
प्रश्न १६ - साधू परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते है ?
उत्तर - साधू परमेष्ठी के २८ मूलगुण होते है |
प्रश्न १७ - क्या हम भी परमेष्ठी बन सकते है ?
उत्तर- हा, जो भी उनसके समान महान काम करेगा वह परमेष्ठी बन सकता है |
प्रश्न १८ - पंच परमेष्ठी में हमारे समान आहार कोन-कोन लेते है ?
उत्तर- आचर्य, उपाध्याय और साधू परमेष्ठी हमारे समान आहार करते है ?
प्रश्न १९ - आहार कैसे लेते है ?
उत्तर - साधू खड़े-खड़े, हाथ में दिन में एक बार शुध्द आहार लेते है |
प्रश्न २० - वे अपने पास पैसे नही रखते, तो बल बद्गते पर क्या करते है ?
उनके बल कोन निकालता है ?
उत्तर - बालो के बढ़ जाने पर मुनिराज (आचार्य, उपाध्याय, साधू) अपने हाथो
से सिर,दाढ़ी-मुछ के निकलते है |इस किया को केशलोच कहते है |
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