बडौत, बागपत। जिला प्रशासन की तीन दिन की नजरबंदी को तोड़कर जंगल वाले बाबा जैन संत चिन्मय सागरजी महाराज रविवार को आखिरकार बड़ौत पहुंच गये। जैन समाज ने उनका भव्य स्वागत किया तथा जयकारे लगाये। उन्होंने इस दौरान कहा हमने एक बढि़या अवसर गवां दिया है। कुछ गलतियां हमारी रही कुछ प्रशासन शासन की और मामला बिगड़ गया। आंदोलन अभी भी चलेगा लेकिन अच्छे लोग आगे आये तभी यह संभव है, वे भी मार्गदर्शन को तैयार हैं।
बडौत के अतिथि भवन में बातचीत के दौरान उन्होने कहा कि अब मैं जैन समाज के लोगो से मामले की जानकारी लूंगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। मैत्री प्रभ सागर जी के साथ हुई घटना पर उन्होने कहा कि उन्हे थोडा संयम से काम लेना चाहिए था। जब मैं आ रहा था तो उन्हे आत्मदाह की घोषणा नही करनी चाहिए थी। शायद वही घोषणा प्रशासन को भयभीत कर गई और उन्हे रात को उठा लिया गया। उन्होने कहा कि यह आंदोलन बिलकुल ठीक है इसे बंद करने की कोई आवश्यकता नही है। बस इसकी थोडी रूपरेखा बदलने की जरूरत है। उनसेमिलने आए स्वामी सत्यदेव से उन्होने कहा कि स्वामी दयानंद और अन्य सभी संत मेरे पास आकर मुझसे बात करें मैं उन्हे सलाह दूंगा कि इस आंदोलन को कैसे मंजिल तक पहुंचाया जाए। उन्होने यह भी कहा कि साधू का काम सड़क पर उतरना नही बल्कि साधना करना है। आंदोलन में कई बार कई लोग अपनी वाणी को साध नही सके। जिसका लाभ समाज के कुछ लोगों ने उठाया। उन्होने माना कि बडौत जैन समाज के कुछ लोगो ने इस आंदोलन में विपक्षियों की भूमिका निभाई उन्ही के कारण सारा मामला बिगड़ा। अब वे सारे समाज के लोगो से मिलकर बातचीत करने आए हैं। तभी इस आंदोलन की आगे की रूप रेखा तय की जाएगी। उन्होने फिर दोहराया कि अगर सारे संत एक हो जाएं तो बूचड़खाने तो एक घंटे में ही बंद करा देंगे। |